तुम्हारी शिकायत तुम्हीं से लगानी है मुहब्बत है तुमसे ये बात भी छुपानी है

Hindi Poems on Love | Loves Poem in Hindi | प्रेम कविता-तुम्हारी शिकायत

तुम एक बात बताओ क्या यही जिंदगानी है

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बड़ी कश्मकश है जिंदगी में साहेब तुम्हारी शिकायत तुम्ही से लगानी है

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कितना सताती है तुम्हारी यादें ये बातें तुमको सुनानी है

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फुर्सत मिले तो आज बात कर लेना इंतजार करवाने की आदत तुम्हारी पुरानी है

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तुम्हारे मन को तो कई बार पढ़ा है मैने तुम भी कुछ कहो या चुप रहने की ठानी है

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सच तुमने कभी कहा नहीं झूठ तुम बोलोगी नहीं बड़ी उलझी उलझी सी इश्क की कहानी है

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ये तो बहाना है तुम्हे लिखते रहने का साहेब आग तो कोरे कागज पर आज फिर से लगानी है

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