कदमों को थाम तो लेते है पर मन चल पड़ता है तुम्हारे पीछे पीछे बुलाने से भी नहीं आता

दूर तक जा कर शब्दों को बटोरता है भरता है अपने मन में हाथों को तो थाम लेता है पर कलम चल पड़ती है धीरे धीरे

Ultimate thought about love-अनंत की ओर

कागज़ के टुकड़े पर एक संसार बनाता है समंदर से गहरा अपना प्यार बनता है ख्यालों में डूब जाता है मोती ढूंढ के लाता है फिर एक कविता बनाता है

Ultimate thought about love-अनंत की ओर

रोक लेता है ख़ुद को तेरी चौखट पर पर दिल अब भी दरवाज़ा खटखटाता है

Ultimate thought about love-अनंत की ओर

कोई आवाज़ नहीं आती चारों तरफ सन्नाटा है

Ultimate thought about love-अनंत की ओर

बस धड़कनों का शोर है थमे थमे से कदम और दौड़ती आशा क्या यही है प्यार की परिभाषा

Ultimate thought about love-अनंत की ओर

एक कागज़ का टुकड़ा सब कुछ सहता रहा में तो थम गया पर मन चलता रहा

तुम्हारे पीछे पीछे एक अनंत अंत की ओर .....