मैं तो गुनगुना रहा था अपनी मोहब्बत तुम बे-बजह परेशान हो गई

चलो कोई बात नहीं अब समझ लो फिर से ज़िद किसी की भी हो पर जिंदगी परेशान हो गई

ना आजमाइश की ना दावा किया तुझ पर बस एक हसरत ही तो थी नाकाम हो गई

अब तो हर शाम लगती है महफ़िल तेरे नाम की बहुत छुपाया पर चर्चा शहर में आम हो गई 

मै तो गुनगुना रहा था अपनी मोहब्बत तुम बे-बजह परेशान हो गई

मजबुरियों का पता नही मुझको तेरी मेरी हर कोशिश हर तमन्ना अब नाकाम हो गई

हर सुबह कोशिश करी की संभल जाऊं देखते देखते जिंदगी की शाम हो गई

बड़ा मुश्किल है दिल को समझाना एक ही जिंदगी थी यूँ ही तमाम हो गई

बुला के ले आता है मन फिर उसी जगह मेरे लिए वो जगह चार धाम हो गई