मैं तो गुनगुना रहा था
अपनी मोहब्बत
तुम बे-बजह
परेशान हो गई
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चलो कोई बात नहीं
अब समझ लो फिर से
ज़िद किसी की भी हो
पर जिंदगी परेशान हो गई
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ना आजमाइश की
ना दावा किया तुझ पर
बस एक हसरत ही तो थी
नाकाम हो गई
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अब तो हर शाम लगती है
महफ़िल तेरे नाम की
बहुत छुपाया
पर चर्चा शहर में आम हो गई
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मै तो गुनगुना रहा था
अपनी मोहब्बत
तुम बे-बजह
परेशान हो गई
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मजबुरियों का पता नही
मुझको तेरी
मेरी हर कोशिश हर तमन्ना
अब नाकाम हो गई
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हर सुबह कोशिश करी
की संभल जाऊं
देखते देखते
जिंदगी की शाम हो गई
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बड़ा मुश्किल है
दिल को समझाना
एक ही जिंदगी थी
यूँ ही तमाम हो गई
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बुला के ले आता है मन
फिर उसी जगह
मेरे लिए वो जगह
चार धाम हो गई
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