जब अमावस की रात में चारों और दिए जलते है तो सारा वातावरण प्रकाशमय हो जाता है , एक अलग ही उर्जा का संचार होता है मन हर्ष और उल्लास से भर जाता है बस यही समय होता है जब आप संकल्प का दीपक अपने मन में जागर्त करें एवं उसको पाने के लिए एक ससक्त योजना बनाये और उसे क्रियान्वन करने के लिए मन से प्रयत्न करें.
इन्ही शब्दों के साथ आप सभी को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएँ.
संकल्प का दीपक इस दिवाली जलाना है
मन के अँधेरे में
एक दीपक जलाना है
मुश्किलों के दोर में
दुनिया को बताना है
ख़ुशियों का रास्ता
अब खुद ही बनाना है
सफलता का परचम
आँधियों में लहराना है
साहस का हाथ थाम के
हर बाधा से पार पाना है
और कमर कस ले ठान ले तू
बिना रुके बिना थके चलते जाना है
सोच के समंदर में
अब गोते लगाना है
खाली हाथ अब नहीं
इस बार मोती ढूंड के लाना है
संकल्प का दीपक
इस दिवाली जलना है
प्रकाश का उत्सव है
मन को जगाना है
मन के अँधेरे में
एक दीपक जलाना है
कविता पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
~ संजय खरे
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