Hindi Kavita-यादों की पुड़िया

 Hindi Kavita-यादों की पुड़िया

यादों की पुड़िया बना
सिरहाने रख के सोया जाये
ना जाने ख्वाबों में कब
मेरा बचपन लौट आये

लौट आयें वो पुराने दिन
वो रोनक फ़िर आ जाये
वो खुशिया वो लम्हे
फिर ख्वाबों में आ जाये

खुशियों के मायने तो
उस दिन समझ आये
जब माँ बाप ने एक बार
मिट्टी के खिलोने दिलाये

हर रोज़ दोपहर में
एक कुल्फ़ी वाला आता था
अम्मा से ज़िद कर के
एक कुल्फ़ी तो रोज़ ही खाता था

खाने में खीर ना मिले तो
सारा घर सर पर उठाता था
बस रूठना होता था
और सारा घर मनाता था

नये कपड़े पहन कर
सारे मुहल्ले को बताता था
जन्म दिन की बात कुछ और ही थी
वो तो बड़े शान से मनाता था

सारी खुशियां उस गुब्बारे
और केक में समां जाती थी
जब सारा दिन अम्मा
बर्थडे बॉय कह कर बुलाती थी

राजा रानी की कहानी सुन कर
बहुत मजा आता था
सारा दिन धमाचौकड़ी कर

रात को जल्दी सो जाता था

 

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