Hindi Poetry-तुम्हारी शिकायत तुम्ही से लगानी है

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Read this Hindi poem full of emotions as it takes you on an amazing journey. The poet aims to write Hindi Poetry and Stories on Life, Experiences, and Love for you to relish and connect back to your roots.

तुम्हारी शिकायत तुम्ही से लगानी है

तुम्हारी शिकायत
तुम्हीं से लगानी है
मुहब्बत है तुमसे
ये बात भी छुपानी है

तुम एक बात बताओ
क्या यही जिंदगानी है
बड़ी कश्मकश है जिंदगी में साहेब
तुम्हारी शिकायत तुम्ही से लगानी है

कितना सताती है तुम्हारी यादें
ये बातें तुमको सुनानी है
फुर्सत मिले तो आज बात कर लेना
इंतजार करवाने की आदत तुम्हारी पुरानी है

तुम्हारे मन को तो कई बार पढ़ा है मैने
तुम भी कुछ कहो या चुप रहने की ठानी है

सच तुमने कभी कहा नहीं झूठ तुम बोलोगी नहीं
बड़ी उलझी उलझी सी इश्क की कहानी है

तुम्हारी शिकायत तुम्ही से लगानी है
ये तो बहाना है तुम्हे लिखते रहने का साहेब
आग तो कोरे कागज पर आज फिर से लगानी है

तुम्हारी शिकायत
तुम्हीं से लगानी है

~ Sanjay Khare

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