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खूबसूरत सी मुहब्बत हो तुम , अपनी खुशबू कब तक छुपाओगी
क्या तुम कभी तस्वीरों से निकल कर बाहर आओगी
जिस मोड़ पर मुड़ गई थी क्या वापस आओगी
हाथ न थामा चलो कोई बात नहीं
पर मेरी बातों पर अब भी मुस्कुराओगी
न जाने मुझे अब भी क्यों यकीं है
मेरे बुलाने पर तुम अब भी मिलने आओगी
मेने अब तक इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया
प्यारा सा एक नाम अब तुम ही बतलाओगी
क्या उम्र ही बीत जाएगी तुम्हे लिखते लिखते
या तुम भी आ के कुछ गुनगुनाओगी
कुछ ज्यादा ही उलझ गए है अब ये रास्ते
कभी सोचा है इनको कैसे सुल्झाओगी
बस में ही सवाल करता रहूँ आवाज़ देता रहूँ
क्या तुम भी कभी मुड़ कर हाथ हिलाओगी
या चलती रहेगी जिंदगी पहले की ही तरह
न में किसी से कुछ कहूँ और न तुम किसी को कुछ बताओगी
कभी तो महक जाओ कभी तो तस्वीर से बहार आओगी
खूबसूरत सी मुहब्बत हो तुम अपनी खुशबू कब तक छुपाओगी
~ Sanjay
Good one sir
One of the beautiful classic . Keep it up 🙏
Beautiful lines Sanjay ji ������
Beautiful …..
Awesome
अप्रतिम,अनुपम रचना गुरुदेव 🙏
👌🏻