Poem on Love-Kaisa Rishta Kaisa Bandhan

0
317
Poem By Sanjay
Poem By Sanjay

प्रेम एक ऐसी शक्ति है जिसे समाहित नहीं किया जा सकता

यह नदी की तरह बहती है,

यह हमारे दिलों को गाता है और हमारी आत्माएं ऊंची उड़ान भरती हैं

यह प्रकाश है जो हमें अंधेरे के माध्यम से मार्गदर्शन करता है

यह वह गर्मजोशी है जो हमारे दिलों को खुशी से भर देती है

हवा पे बातें लिख भेजी हैं

तुम्हे मिलें तो पढ़ लेना
कुछ ख़ास नहीं बस 
एहसाओं की पोटली है
जगह मन में हो
तो रख लेना 
बहने देना उनको
हवा, धूप और पानी की तरह
जैसे बहते पानी की आवाज
नर्म धूप का स्पर्श
ठंडी हवा का झोंका
कुछ कहने की जरूरत नहीं
बस महसूस करो
बंद नैनो से
जीवन का दर्शन
ठीक उसी तरह
जैसे तुम्हारी आंखें
मुस्कुराता चेहरा
एक छोटा सा तिल
और गालों पर लटों का पहरा 
कितना कुछ है
अहसाओं की दुनिया में
असीमित धड़कन
हर धड़कन में कौन
में जानू पर तुम मौन 
कौन हो तुम 
मन में क्यों रहती हो
लहू के संग संग
रगों में क्यों बहती हो
खामोशी का कारण क्या
इतना चुप चुप क्यों रहती हो 
रिश्ता कैसा
और कैसा बंधन
दूर रहे न
खुशबू और चंदन
और नाम तुम्हारा
कैसे बोलें
इश्क की परतें
कैसे खोलें
असमंजस में
ये मतवाला
पलको के आंसू
कैसे तोले
कितना कुछ
मन में बोलें
और मिलने पर
कुछ न बोलें
To Be continued…………….